हिंदी, राजस्थानी, अंग्रेजी सहित कई भाषाओं की संवेदनशील रचनाकार, जानकार, अनुवादक, शिक्षाविद रजनी छाबड़ा जी की कुछ अंग्रेजी कविताओं का राजस्थानी अनुवाद । एहसासों का उत्ताल प्रवाह पौर पौर पैठ जाता है जैसे।
कुण गिनर करै
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कुण गिनर करै
आंधी-रैळै री
सत्यानाशी तूफान रा बादळा
हर पीड़,
हर दुःख
हुय जावै छोटो
जद माथै आय पड़ै
उपराथळी
कोई गोरधन
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आस रो पंछी
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मन
फगत आस रो पंछी
क्यूं बांधो इण नै
बांधण सारू
मिनखां देही री
किसी कमी है ।
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विजोेग
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कदै नींद पांख्यां रै हींडै
कदै पांख निंदाई हुई
कळझळ में धीजो कदै
कदै मन-सुकूं माथै
मिलण-हूंस भारी हुई ।
रतियायी निंदाई आंख्यां
रातीजोगां री हेवा हुई
थारै विजोगां
तारा गिण-गिण
घीस्या पैरवां
आ ई रीत काळजै बैठ
म्हारै मन री मीत हुई ।
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उथळो - रवि पुरोहित
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