Rajasthani Translation of my English Poetry by Ravi Purohit

 श्रीमती रजनी छाबड़ा री घणचावी अंग्रेजी कवितावां रो राजस्थानी उथळो...

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घणो ई है
अेक सपनो
थिर-रंगहीण आंख सारू
अेक निसखारो
मून धारियै होठां सारू
अेक अणछंट कारी
चाक-हियै छाती सारू
घणो ई है इत्तो सामान
म्हारै जीवणै सारू !
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होवण सूं नीें होवण तांई
होवणै सूं
नीं होवणै तांई रो आंतरो
अंवेर राखी है
ठाह नीं कित्ती गैरी-ऊंडी आडियां
पाछो ई लेवणो है जद
तद देवै ई क्यूं
नीं मिळती फिरदौस
नीं कळपतो काळजो
लूंटीजण रै भाव-दीठ !

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