Rajasthani version of my English Poetry by Ravi Purohit Ji

 ख्यातनांव कवयित्री, जगचावी उठाळाकार अर आखै चोखळै आपरी नुमेरेलोजी सूँ ठावी ठौड़ बणावण वाळी रजनी छाबड़ा जी री घण चावी अंग्रेजी कविता पोथी Mortgaged री कीं कवितावां रो राजस्थानी उथळो आपरी पारखी नजर है😊


कठै गया

कठै गया वै मोवणा ऊजळ-दिन

जद गैलायत बिसाई लैवता

रूंखां री इमरत-छांव


कोयलड़ी बोलती

हरियळ बागां

अर चैन री बंसी बजावतो गांव


कठै गया बै संजीवण दिन

जद नदियां मिळतो 

निरमळ काळजो ठारतो ठण्डो पाणी


परकत री पाक हवा में लैवता सांस

अर वायरो मन में भरतो नवी हूंस

कठै गया वै दिन ! (5)

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आ चावना

आ चावना थारी-म्हारी

कै  जै है औ रळियावतो सपनो

तो नींद कदै नीं खुलै म्हारी

अर जै है जथारथ मन री

तो नींद कदै नीं आवै म्हनै । (16)

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सांस छोडता पानका

सूखता-मरता कड़कड़ता 

पानका अर फूल

जिका अणथक कीचरीज रैया

आवतै-जावतै पगां


कदै आं मांय ई होवती

हरियल सांस

अर कोयल री कुहुक

निठाव री बिसाई मिळती

इणां हेठळ पसरती छियां मांय ई

किणी नै । (19)

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मन रळ्यां महकै मनगत


इकसार हुवण ढूकै जद

मन अर मनगत

खिल-खिल पांगरतो-पसरतो

निगै  आवै औ संसार

तद घुळण लागै

जिंदगाणी री जूण में

चनणिया सौरम

सरब मान रो सार । (30)

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रूप

वगत रै लांबै पेंडै

रूप-किरदार यूं बदळ जावै

बै जिका काल तांई चाल्या करता

पकड़ म्हारी आंगळी

आज वै ई

मारग री सीध बतावै । (46)


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कियां बिसराय सकां

कियां बिसराय सकां वांनै

जिका ठा नीं कित्ता ठट्ठा मारिया हुवैला

आपणै साथै

सुख रै सोनलियै दिनां


कियां भूल सकां वांनै

जिका ठा नीं कित्ती-बार धाड़ मार’र

रोया हुवैला आपणै चोसरां

दुख रै वां कजळाईजतै दिनां । (52)

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