kya Tum Sun Rhee Ho? Ma with English, Bengali , Rajasthani, Assamese, Maithilee, Punjabi, Sanskrit,Tamil , Gujarati and Urdu Version
Hi! friends, today, on Birth Anniversary of my Resp. Mother, Late Shrimati Shakuntala Sardana W/O Late Shri Vishan Dev Sardana, sharing with you my favourite poem, composed by me both
in Hindi and English and translated into Bengali by reputed poet Shyamal
Kumar Majumder from Bangladesh and in
Rajasthani by reputed poet Ravi Purohit from Bikaner, into Assamese by Niti Sharma from Guahati, into Maithilee by Dr. Sheo Kumar Prasad from Patna,, into Punjabi by Dr.Tajinder Chandihoke from Ludhiyana, into Sanskrit by Ila Pareek from Bikaner, into Tamil by Poet and translator K. Balaji from Chennai, into Gujarati by Subhashchabdra M. Parikh from Ahmedabad and into Urdu by Buniyad Zaheen from Bikaner.
Heartily obliged to all my poet friends for their literary contribution and dedication.
I wish this poem
to be translated into as many languages in the whole world as possible.
Support from translators world wide will be held in great esteem by me.
हमारी माताश्री स्व. श्रीमती शकुंतला सरदाना/ पत्नी स्व. श्री विशन देव सरदाना की जयन्ती पर, श्रद्धांजलि के रूप में मेरी एक हिंदी कविता , जिसका अंग्रेज़ी भाषा में अनुवाद मैंने किया है और विभिन्न भारतीय भाषाओं में मेरी कवि व् अनुवादक मित्रों ने/
अनुकृति के लिए सभी रचनाकारों की आभारी हूँ/
बंगाली : श्यामल कुमार मज़ूमदर
राजस्थानी : रवि पुरोहित
आसामी : नीति शर्मा
मैथिली : डॉ शिव कुमार प्रसाद
संस्कृत : इला पारीक
तमिल : पी बाला
गुजराती : सुभाषचंद्र पारीख
उर्दू : बुनियाद ज़हीन
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माँ,तुम अक्सर कहा करती थी
बबली,इतनी खामोश क्यों हो
कुछ तो बोला करो
मन के दरवाज़े पर दस्तक दो
शब्दों की आहट से खोला करो
अब मुखर हुई हूँ,
तुम ही नहीं सुनने के लिए
विचारों का जो कारवां
तुम मेरे ज़हन में छोड़ गयी
वादा है तुमसे
यूं ही बढ़ते रहने दूंगी
सारी कायनात में तुम्हारी झलक देख
सरल शब्दों की अभिव्यक्ति को
निर्मल सरिता सा
यूं ही बहने दूंगी
मेरा मौन अब
स्वरित हो गया है/
रजनी छाबड़ा
ARE YOU LISTENING? MAA
Maa! You often used to ask me
Babli, why are you so silent
Usher something
Give vent to your thought
Knock at the door of mind
Open it with sound of your words.
I am vocal now
But you are not here
To listen me.
Caravan of thoughts
That you left behind
In my mind
I promise you
To let it move
On and on
Viewing your glimpse
In whole Universe.
I will pen-craft
My thoughts
Like a stream of pure water.
My silence has vocalized.
But, are you listening Maa?
RAJNI CHHABRA
মা!
তুমি প্রায়ই আমাকে বলতে
বাবলি, এত চুপ কেনো
কিছু ব্যক্ত করো
তোমার ভাবনাগুলো বের হওয়ার সুযোগ করে দাও।
মনের দরজায় আঘাত হানো
তোমার বাণীসমূহের শব্দে মনের দরজা খুলে ফেলো।
আমি এখন ধ্বনিময়
কিন্তু তুমি তো এখন এখানে নেই যে শুনবে।
যেসব চিন্তার কাফেলা
আমার অন্তরে রেখে গেছো
আমি প্রতিজ্ঞা করছি
আমি তা অবিশ্রান্তভাবে
সচল রাখবো।
তোমার ক্ষীণ আলোয় দেখে
এই বিশ্ব চরাচরে
আমি কলম-শিল্পী হবো
যে বিশুদ্ধ জলের ঝর্ণাধারার মত
স্বতঃস্ফূর্তভাবে ছলছল প্রবাহিত হবে।
আমার নৈশব্দ এখন কল্লোলিতো।
তুমি কি শুনতে পাচ্ছো, মা?
SHYMALKUMAR MAJUMDER
BANGLADESH
कांई थूं सुण रैयी है मां !
मां ! थूं केई बार कैवती
बबली, थूं चुप क्यूंह ै
की तो बोल्या कर
मन दरूजो कदै तो खड़का
काळजै री आगळ
कदै तो सबदां रै खोजां खोल ।
अबै म्हैं जागगी मां
थूं ई सुणबा नै नीं है
भाव-चींत रा जिका बीज
थूं छिड़कगी म्हारै मन-आंगणै,
राख पतियारो !
कौल है म्हारा
इण विध ई बधता रैसी ।
आखै चोखळै थारी छिब नै
सीधै सबदां भाखूं ली
निरमळ नदिया ज्यूंइण ढाळै ई
बैवती रैसी थारी मन री सीख-धार !
म्हारो अबोलो मून
अबै बोलण ढूक्यो है
मां कांई थूं सुण रैयी है ?
RAVI PUROHIT
BIKANER
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মা, তুমি আগেয়ে সুধিছিলা
বাবলি, কিয় তুমি বাকৰুদ্ধ?
কোৱা তুমি মুখ ফুটাই কিবা কিবি।
তোমাৰ ভাৱনাক গতি দিবলৈ
মনৰ দুৱাৰত খুন্দা মাৰি
শব্দৰ দুৱাৰ ভাঙা।
মা, মই এতিয়া শব্দৰে সম্পূৰ্ণ
কিন্তু মা এতিয়াটো তুমি ইয়াত নাই
মোৰ কথা শুনিবলৈ।
লানিনিছিঙা ভাৱ বিলাকক
হৃদয়ত তুমি মোৰ থৈ গৈছিলা,
মই যেন শপতগ্ৰস্ত এতিয়া
তাক আগুৱাই নিবলৈ।
তোমাক মা মই দেখিছোঁ এই বিশ্ব ব্ৰহ্মাণ্ডত
হৃদয়ত স্পন্দিত ভাৱনাবিলাকে যেন গতি পাব
কুলু-কুলু বৈ যোৱা এটি স্পতিক উজ্জ্বল সোঁতৰ দৰে
মোৰ নিস্তব্ধতাই শব্দ বিচাৰি পাইছে এতিয়া
কিন্তু মা ! তুমি জানো মোৰ কথা শুনা পাইছা?
তুমি শুনি আছানে? মা
"माय गै की तों सुनि रहल छें "
माय तों हरदम
कहैत रहए छलें
बबली,एतेक चुप किएक छें
किछु तऽ बाजल कर
मनक केवाड़ कें खटखटा
शब्दक आहैट सँ खोलल कर
आब बजै छियौ,
मुदा सुनऽ लेल तूहीं ने छें
बिचारक जे जुलूस
तों हमर हिया मे छोड़ि गेलैं
हम शपथ खाए छी तोरा लग
अहिना बढैत रहतै
सौंसे संसार मे
तोहर छवि देखैत
सहज शब्दक भाव कें
विमल धार सन
अहिना बहऽ देबै
हमर चुप्पी आब
स्वरित भऽ गेलअछि गै माय
की तों सुनि रहल छें?
डॉ.शिव प्र्साद
ਕੀ ਤੂੰ ਸੁਣ ਰਹੀ ਹੈ ,ਮਾਂ
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ਮਾਂ , ਤੂੰ ਅਕਸਰ ਕਿਹਾ ਕਰਦੀ ਸੀ
ਬਬਲੀ, ਇਨੀਂ ਚੁੱਪ ਕਿਉਂ ਹੈਂ
ਕੁਝ ਤਾਂ ਬੋਲਿਆ ਕਰ /
ਮਨ ਦੇ ਦਰਵਾਜ਼ੇ 'ਤੇ ਖੜਖੜਾਹਤਟ ਦੇ,
ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਚੋਟ ਨਾਲ ਖੋਲਿਆ ਕਰ /
ਹੁਣ ਬੋਲਣ ਲਗੀ ਹਾਂ,
ਤੂੰ ਹੀ ਨਹੀਂ ਸੁਣਨ ਲਈ
ਵਿਚਾਰਾਂ ਦੀ ਜੀ ਭੀਡ਼
ਤੂੰ ਜੋ ਮੇਰੇ ਅੰਦਰ ਛੱਡ ਗਈ
ਇਹਂ ਹੀ ਵਧਣ ਦਿਆਂਗੀ /
ਸਾਰੀ ਕੁਦਰਤ ਵਿਚ
ਤੇਰੀ ਝਲਕ ਦੇਖ
ਆਸਾਨ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਗਟਾਅ ਨੂੰ
ਸਾਫ਼ ਨਦੀ ਜਿਹਾ
ਇਂਹ ਹੀ ਵਹਿਣ ਦਿਆਂਗੀ /
ਮੇਰੇ ਮੌਨ ਨੂੰ ਹੁਣ ਬੋਲ
ਮਿਲ ਗਏ ਨੇ ਮਾਂ
ਕੀ ਤੂੰ ਸੁਨ ਰਹੀ ਏਂ ?
किं श्रृणोषि त्वं मातः!
माता त्वं बहुधा कथितवती
बबली! एतावत् मौनं किम्?
किञ्चित् तु वदतु।
मनसः द्वारे हस्तप्रहारं कुरु
शब्दानां ध्वन्याः उद्घाटनं कुरु
अधुना मुखरास्मि
त्वमेव नास्ति श्रवणाय
विचाराणां याःपंक्तयः
त्वया मम बुद्ध्यां स्थापितं
वचनमस्ति त्वया
एवमेव वर्धनं करिष्यामि
सम्पूर्णसृष्ट्यां तव छायां दृष्ट्वा
सरलशब्दानां अभिव्यक्तिं
निर्मलासरितायाः इव
एवमेव प्रवाहितं करिष्यामि
मम मौनं अधुना
स्वरितमभवत्
मातः! किं त्वं श्रृणोषि?
அம்மா நீ கேட்கிறாயா?
அம்மா !
பலமுறை
நீ என்னிடம்
சொன்னதுண்டு
" பப்ளி!
நீ ஏன் வாய் மூடி
மௌனியானாய் ?
வழிகாட்டி யாகவன்றோ
நீ விளங்க வேண்டும்!
எண்ணங்களுக்கு
வடிகாலை ஏற்படுத்து !
மனக் கதவைத் தட்டியுந்தன்
எண்ணத்தை உட்செலுத்து !
சொற்களின் ஓசை கொண்டு
சோர்ந்தடைந்த மனக்கதவைத்
திறக்கச் செய் "
என்றெல்லாம் சொல்வாயே !
இப்போது
நான் பேசுகிறேன்;
ஆனால்
நீ இங்கு இல்லை
என் பேச்சைக் கேட்பதற்கு !
என் மனதில்
நீ தூண்டிவிட்ட
எண்ணங்களின் ஊர்வலத்தை முன்னோக்கி நான் நகர்த்தி விண்ணகரம் வரை செல்வேன்!
உனது பார்வையால்
உலகையே நான் அளப்பேன் !
இடைவிடாத
எண்ணங்களின் ஓட்டமதை
சுத்தமான நீரோடை
எனவே நான் ஆக்கிடுவேன் !
நான்
இனிமேலும் மௌனி அல்ல !
என் மௌனம்.....
அது இனி பேசும் !
ரஜினி சாப்ராவின்
ஆங்கிலக் கவிதையின்
மொழிபெயர்ப்பு --
கி.பாலாஜி
20.09.2020
માં , શુ તમો સાંભળી રહ્યા છો ?
માં ,તમો હમેશા કહ્યા કરતા હતા ,
બબલી, તું આટલી બઘી ખામોશ કેમ છે ?
કાંઈક બોલો , વાત કરો !
મન ના દરવાજા ખોલી નાખો;
શબ્દો ની ગુનગુનાટ થી ખોલી નાખો
હવે સમજદાર થઈ ગઈ છે .
હવે તું સાંભળવા માટે નથી ;
વિચારો નું વટોંળ છે ;
તુ મને જગત માં છોડી ગઈ ;
હુ હવે તમને વાદો કરુ છુ કે ;
હવે આવી રીતે જ હુ કાયઁ કરીશ ;
આખી જીંદગી માં તમારી તસવીર
જોઈ ને સરળ શબ્દો માં તમારી
અભિવ્યકિત ને સુંદર નિમઁલ નદી
માં વહેવા દઈશ ;
મારુ મૌન હવે બોલતૌ થઈ ગયુ છે ;
માં ; શું તમો સાંભંળી રહ્યા છો; માં !!!!
Translated by ;
Subhashchandra M Parikh
Ahmedabad
mo no.8735954889.
TRANSLATOR SUBHASHCHANDER M PARIKH .AHMEDABAD
امی
امی
امی تم اکثر کہا کرتی تھی
ببلی، اتنی خاموش کیوں ہو
کچھ تو لبوں کو زحمت دیا کرو
دل کے دروازے پر دستک دیا کرو
لفظوں کی آ ہٹ سے کھولا کرو
ماضی کے نقوش
اب لب کشائی کی تاب آئی ہے تو
تم ہی نہیں سننے کے لیے
خیالات کا کارواں
جو میرے ذہن میں چھوڑ گئی
وعدہ ہے تم سے
ہمیشہ رواں رکھوں گی
کائنات میں تمہاری جھلک
دیکھ کر
نازک الفاظ کی رعنائی
یوں ہی بہنے دوں گی
کتنے ہی جذبات
میری خاموشی سے
امی
کیا تم سن رہی ہو۔۔۔
رجنی چھابڑا مترجم۔۔۔۔ بنیاد ذہین بیکانیری،
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