Maithilee Version of ARE YOU LISTENING? MA
क्या तुम सुन रही हो,माँ
क्या तुम सुन रही हो,माँ कविता का मैथिली अनुवाद, डॉ.शिव प्र्साद द्वारा/
यह कविता मेरे हिंदी काव्य संग्रह होने से न होने तक से है/ डॉ.शिव प्र्साद द्वारा इस पुस्तक का मैथिली अनुवाद शीघ्र ही प्रकाशित होगा/
"माय गै की तों सुनि रहल छें "
माय तों हरदम
कहैत रहए छलें
बबली,एतेक चुप किएक छें
किछु तऽ बाजल कर
मनक केवाड़ कें खटखटा
शब्दक आहैट सँ खोलल कर
आब बजै छियौ,
मुदा सुनऽ लेल तूहीं ने छें
बिचारक जे जुलूस
तों हमर हिया मे छोड़ि गेलैं
हम शपथ खाए छी तोरा लग
अहिना बढैत रहतै
सौंसे संसार मे
तोहर छवि देखैत
सहज शब्दक भाव कें
विमल धार सन
अहिना बहऽ देबै
हमर चुप्पी आब
स्वरित भऽ गेलअछि गै माय
की तों सुनि रहल छें?
डॉ.शिव प्र्साद
क्या तुम सुन रही हो,माँ
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माँ,तुम अक्सर कहा करती थी
बबली,इतनी खामोश क्यों हो
कुछ तो बोला करो
मन के दरवाज़े पर दस्तक दो
शब्दों की आहट से खोला करो
अब मुखर हुई हूँ,
तुम ही नहीं सुनने के लिए
विचारों का जो कारवां
तुम मेरे ज़हन में छोड़ गयी
वादा है तुमसे
यूं ही बढ़ते रहने दूंगी
सारी कायनात में तुम्हारी झलक देख
सरल शब्दों की अभिव्यक्ति को
निर्मल सरिता सा
यूं ही बहने दूंगी
मेरा मौन अब
स्वरित हो गया है/
माँ,क्या तुम सुन रही हो
रजनी छाबड़ा
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